बुधवार, 14 सितंबर 2016

हिन्दी दिवस पर एक पत्र आपके नाम

प्रिय पाठक

हिन्दी दिवस की औपचारिक शुभकामना स्वीकार करें। मेरा हिन्दुस्तानी मनहिन्दुस्तान में रहने वाले एक हिन्दुस्तानी को "हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं", देने का नहीं कर रहा है। एक चीनी  मैड्रिन दिवस की, एक जापानी जापानी दिवस की, यहाँ तक की एक पाकिस्तानी भी उर्दू दिवस की शुभकामना अपने दूसरे देशवासी को नही देता है। परन्तु हम ऐसा कर रहे हैं। हमारे देश की संकीर्ण राजनीति की क्षुद्रता ने हिन्दी को भारत में असहाय और विवाद की भाषा बना दिया परन्तु हमारी सर्वग्राहि संस्कृति ने इस वैज्ञानिक और सर्व समावेशी भाषा को 130 करोड़ लोगों की बोल चाल की भाषा बना दिया। आज हमे अपनी संस्कृति पर गर्व और हिन्दी पर गौरव का भाव और मजबूत करना चाहिए। डॉ ज्योतिप्रसाद नौटियाल के शोधानुसार विश्व की कुल जनसंख्या का 18 % लोग हिन्दी जानते व बोलते हैं।

आजके वैश्विक स्पर्धा वाले बाजार में हिन्दी जानने वाले लोगो की इस विशाल संख्या ने इंग्लैंड, अमेरिका, चीन जैसे अनेक देशों को मजबूर कर दिया है कि उनकी कंपनियों के कर्मचारियों को हिन्दी का ज्ञान हो। उत्पादों पर नाम हिन्दी में लिखे जाने लगे हैं। ये विकसित देश हिन्दी के ज्ञान के लिए विशेष राशि आवंटित कर रहे हैं।

रही बात भविष्य की तो हिन्दी का भविष्य उज्ज्वल है। आज देश में हिन्दी की पत्र - पत्रिकाये  पाठको के द्वारा सर्वाधिक खरीदी जा रही है। संगणक (💻) मे हिन्दी में बने ओ एस है, कुंजीपटल है। और नवोन्मेष जारी है।

आज के दिन हमे हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अनवरत लगे हुए समस्त राष्ट्रभक्तो को ,हिन्दी चलचित्र जगत् के प्रत्येक व्यक्ति को और अपने शुभचिंतकों को हृदय से धन्यवाद देते हुए उनके प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करना चाहिए।
हम पिछले 66 वर्षों से हिन्दी दिवस मनाते आ रहें हैं!!बहुत से संकल्प हमने लिए, लक्ष्य रखे न्यूनाधिक उन्हें प्राप्त भी किया। आगे भी हम अपने संकल्प को शिव संकल्प की तरह लेकर पूर्ण करेंगे। हमारा हस्ताक्षर हमारे व्यक्तित्व का परिचायक है। हम सभी जन्म के आधार पर हिन्दुस्तानी है। अतः आज इस अवसर पर हम संकल्प करे कि "आज से मै अपना हस्ताक्षर हिन्दी अथवा अन्य भारतीय भाषा में करूंगा"

आपका संकल्प पूर्ण हो और माँ भारती हमारा मार्ग प्रशस्त करें।
इति शुभम्
विकास...

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