मंगलवार, 13 सितंबर 2016

मेरी माँ साक्षर है

  हम सभी सुनते है या देखते हैं या अनुभव है कि माँ अपने संतान की अच्छी शिक्षा के लिए बहुत कष्ट झेलती है। चाहे वोछुपकर खांसना हो या फटी हुई साङी पहनना या वर्षों से संजो कर रखे हुए प्राण-प्रिय गहनों को बेच कर पैसे💷की व्यवस्था करना। दूसरे के घर🏡दाई का काम कर या कपड़े सिलाई कर पैसा व्यवस्था करना हो। भूख मार कर सो जाना हो या पैदल🚶ही बाजार चले जाना या पसंदीदा व्यंजन को बाजार में बिकता देख "अरे ये ठीक से नहीं बनाता, बासी होगा" आदि बहाने बनाकर नही खाना हो, वो हर संभव🙆रास्ते से पैसा💵बचाती है। माँ अपने संतान की अच्छी शिक्षा के लिए सर्वोच्च त्याग भी सहर्ष कर देती है। सभी माताएँ कम या ज्यादा ऐसा त्याग करती है। जिनकी परिस्थिति जैसी होती है। परन्तु विचारणीय बात यह है कि बहुत सारी माताएं अपना नाम नहीं📝लिख पाती है। बैंक🏦मे, डाक📮लेते समय हमने उन्हें अंगुठे का निशान देते हुए देखा होगा। गौर करने पर उनके आंखे में हस्ताक्षर न कर पाने की विवशता साफ दिखाई देती है। यही माँ जब अपने बच्चे🚸के विद्यालय🏫में जाती है और हस्ताक्षर करने के समय अंगुठे का निशान देने के लिए मूक भाव से "पैड" माँ मेरी खोजती है तो उस समय उन्हें सबकी घुरती निगाहें कितना😳शर्मिंदा करती होगी। कल्पना कीजिए कि आप होते उस जगह तो आपको कैसा लगता🙅? ये वही माँ है जिसने अपने बच्चे को इस जगह पढने भेजने के लिए अपनी बिमारी के असह्य कष्ट को भी इस तरह चुपचाप सहा है कि किसी को पता न चले। हमारे भारत में ऐसी हजारो माताएँ है। इनमे एक हमारी माता जी भी हो सकती है। भारत के साक्षरता दर को शत प्रतिशत तक ले जाने के लिए हजारों विद्यालय🏫व विश्वविद्यालय व अन्य संस्थान है। परन्तु इन माताओं के लिए? हाँ, हम प्रौढ शिक्षा के लिए चलने वाले संस्थानों के बारे में सोच💭सकते हैं परन्तुप्रायोगिक तौर पर यह थोड़ा कठिन है। हमारी माँ कहेगी कि -"नही, मेरे पास समय🕒नहीं है, अब मै पढ कर क्या करूंगी, घर🏡के काम कैसे होंगे?" आदि आदि। इसलिए सबसे अच्छा यह नहीहोगा क्या कि हम ही यह निश्चय करें कि - "मै अपनी माँ को कम से कम हस्ताक्षर करना अवश्य सिखाउंगा"। इससे हमारी माता को आगे से कभी भी बैंक🏦में,🏫विद्यालय में, डाकिये के सामने या अन्य कही भी हस्ताक्षर के समय अंगुठे के निशानदेने से शर्मिंदा नही होना होगा। हमारे इस अणुव्रत से एक महत्तम कार्य सिद्ध हो जाएगा और भारत की साक्षरता दर में वृद्धि भी होगी। हमारी माता के साक्षर होने से हमारे परिवार👪में खुशियां, समाज में सकारात्मक उर्जा⚡और देश में आगे बढ़ने की नयी उम्मीद का संचार होगा। तो अगर आप कि माता जी हस्ताक्षर नही कर पाती है तो यह आपका कर्तव्य है कि आप अवश्य ही उन्हे हस्ताक्षर करना सिखाये जिससे उन्हें शर्मिंदा न होना पड़े और आप गर्व से कह सके कि"मेरी माँ साक्षर है"। हम कर सकते हैं, हम करेंगे।@विकास 🙏🙏

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